अल्लाह तआला अलवाहिद और अल अहद है..

 अल्लाह तआला अलवाहिद और अल अहद है..

अल्लाह तआला अलवाहिद और अल अहद है..

बेशक अल्लाह तआला अलवाहिद और अल अहद है..

हे वह ज़ात जिस की ज़ात अकेली है और जो अपने नामों और विशेषताओं के एतबार से अकेला है।

हम तुझ से इख्लास,मुहब्बत और महत्वाकांक्षा (पुखता इरादा) के सवाली हैं ऐ अकेली और बेनियाज़ ज़ात।

”अल अहद“

वह अपनी ज़ात और अपने नामों एवं विशेषताओं में अकेला है,उस का न तो कोई समकक्ष है न कोई उस के मुशाबेह है और न ही उस जैसी कोई चीज़ है। {क्या तेर इल्म में उस का हमनाम कोई दूसरा भी है“।}[मरयमः 65].

”अल अहद“

वह इबादत के योग्य और उलूहियत में अकेला है,इस लिये अल्लाह के अतिरिक्त कोई सत्य उपास्य नहीं, और हर प्रकार की इबादत चाहे वह छोटी हो या बड़ी उस के अतिरिक्त किसी की नहीं की जायेगी।

”अल अहद“

वह एक है जिस का इरादा किया जाता है, और वह एक पालनहार है जिस की उपासना की जाती है,दिलों की गहराइयों ने इस की गवाही दी और गै़ब की खबर रखने वाले अल्लाह से निगाहें जुड़ गईं।

”अल वाहिद अल अहद“

अल्लाह तआला ने अपने बंदों को अपनी तौहीद पर पैदा किया है,उस का कोई साझी नहीं,कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जिस ने अल्लाह के अतिरिक्त की ओर धियान लगाया हो और वह कामयाब होगया हो,और न ही कोई ऐसा बंदा है जिस ने अल्लाह के अतिरिक्त की इबादत की हो और वह खुश भी हो,और न ही कोई बंदा ऐसा है जिस ने उस का साझी बनाया और वह सफल रहा हो।

बेशक अल्लाह तआला अल वाहिद और अल अहद है.



Tags: