बेशक अल्लाह तआला अल मोमिन और अल मुहैमिन है..
{वही अल्लाह है जिस के सिवाय कोई पूज्य नहीं,मालिक,बहुत पाक और सभी बुराइयों से आज़ाद है,शांति अता करने वाला और रक्षक है“।}
[अल हश्रः 23].
”अलमोमिन“..
जो वह्य के ज़रिये अपने बंदों और अपनी मखलूक के बीच शांति फैलाता है। {और उन्हें डर मंे अमन अता किया“।}[कु़रेशः 4].
”अलमोमिन“...
शांति देने वाला,रक्षा करने वाला है और अपने मखलूक़ के सारे अमल की खबर रखने वाला है।
”अलमोमिन“...
वह बदले में कोई कमी नहीं करता,और न सज़ा में कोई ज़्यादती करता है,वह दया,फज़्ल,अच्छाई,और दान के अधिक योग्य है।
”अल मुहैमिन“
वह अपने बंदों का रक्षक है वह उन पर ग़ालिब है और उन्हें नियंन्नित किया,उन की देख रेख करता है,उन के करतूतों और हालतों को जानता है,उस ने बंदों के हर एक चीज़ को घेर रखा है,हर मामला उस के लिये सरल और हर चीज़ उस की आवश्यक है...
{उस जैसी कोई चीज़ नहीं वह सुनने वाला देखने वाला है“}[अश्शूराः 11].
बेशक अल्लाह तआला अल मोमिन और अल मुहैमिन है..
” अल मोमिन “.. वह ज़ात जिस ने अपनी पूर्ण विशेषताओं और पूर्ण महिमा और सुंदरता के कारण स्वयं की प्रशंसा की है,और जिस ने अपने मैसंेजर को भेजा और दलाइल एवं प्रमाण के साथ किताबें उतारी,और रसूलों के लाये हुये पैग़ाम के सत्य होने और स्वयं रसूलों की सत्यता पर प्रमाणित दलीलों और चिन्हांे से उन की सत्यता साबित की। ”अल मुहैमिन“ वह छुपे हुये मामलांे और सीनांे में छुपी हुयी चीज़ों की खबर रखता है,उस ने अपने ज्ञान से हर चीज़ को घेर रखा है।