निःसंदेह अल्लाह तआला वह्हाब और जव्वाद है..
ऐ नेमतें देने वाले... ऐ उम्मीदो को बाँध रखने वाले... ऐ एहसान करने वाले.
मुझे प्रसन्नता दे... मुझे शांति दे... मुझे खुशी और प्रेम अता कर..
हम पर एहसान और करम कर,तू फज़्ल, उदारता और करम वाला है.. {और हमें अपने पास से रहमत अता कर,बेशक तू ही सब से बड़ा दाता है“।}[आले इमरानः 8].
«बेशक अल्लाह तआला दानशील है दानशीलता और अच्छे स्वभाव को पसंद करता है और बुरे व्यवहार को नापसंद करता है» (त्रिमिज़ी).
”अलवह्हाब“
जिसे चाहता है देता है और जिसे चाहे मना कर देता है.
”अलजव्वाद“
अल्लाह के देने की कोई हद नहीं है,और उस के एहसान को कोई रोक नहीं सकता,वह किसी चीज़ को कहता हैः {हो जा पस वह हो जाती है“। अल बक़राः117}[नामों और उस की विशेषताओं का].
”अल वह्हाब“
वह हिस्सी और आँतरिक(मानवी) जीविका देता है और अपने करम व एहसान से खूब देता है.
अल्लाह तआला अपने बंदे के दिल में जो अच्छे खयालात,लाभदायक बातें, ज्ञान, हिदायत,तौफीक़,खुशी डालता है और उस की दुआओं को क़बूल करता है,इन सब चीज़ों का तअल्लुक़ आँतरिक (मानवी) रोज़ी से है जिसे अल्लाह तआला ने अधिक लोगों को दे रखा है।
”अल वह्हाब“
दे या न दे,ऊँचा करे या अवंधे मुंह गिरा दे,और बराबर एहसान करे,या उसे खतम कर दे,उसी के हाथ में हर प्रकार की भलाई है,बेशक वह हर चीज़ पर शक्तिमान है।
बेशक अल्लाह तआला अलवह्हाब और अलजव्वाद है..