बेशक अल्लाह तआला अल मलिक है.. {वह मालिक और अधिक पाक है“।}
[अल हश्रः 23].
”अल मलिक“
वह महानता और बड़ाई वाला है,बंदों के मामलों की उपाय और तसर्रुफ करता है,सब बंदे उस के गुलाम और उस के मुहताज हैं,वह उन का बादशाह और मालिक है।
” अल हकीम “ .. वही ज़ात है जिस के लिये पैदा करने वाली विशेषता और हुक्म में बुलंद हिक्मत है,वह किसी चीज़ को बिना लाभ के पैदा नहीं करता,और न किसी बात का बेकार में हुक्म देता है,पहले और बाद में उसी के लिये बादशाहत है। ” अल मलिक अल मालिक “ .. उसी के लिये हुकूमत व बादशाहत है,वही है जिस में बादशाहत की विशेषता पाई जाती है,और यह विशेषता महानता,बड़ाई गलबा और उपाय के अर्थ को शामिल है,वह जिस के लिये पैदा करने,हुक्म देने और बदला देने का पूरा इख्तियार है,उसी के लिये सब निचली और ऊपरी दुनिया है सब उसी के गुलाम,बंदे और उसी के मुहताज हैं।उसी के लिये संपूर्ण बादशाहत है,जितने भी बादशाह और हाकिम हैं सब उस के गुलाम हैं,और आसमान व ज़मीन में जो भी भलाई है सब उसी के करम और देन से है। {उस की मिल्कियत में ज़मीन व आसमान की सभी चीज़ें हैं“।}
[अल बक़राः 255].
”अल मलिक“
वह बिना हिसाब व किताब देता है,बंदों को अधि प्रदान करता है,और इस से उस की बादशाहत में कोई कमी नहीं होती,और न एक चीज़ दूसरी चीज़ से उस को बेखबर रखती है,और सही हदीसे कु़दसी में हैः «..यदि तुम में से पहला और अंतिम व्यक्ति,इन्सान और जिन्नात एक पलेट फार्म पर खड़ें हो जायें और मुझ से माँगें,और मैं उन में से हर एक की मुराद पूरी कर दूँ तो उस से मेरे खज़ानों में उसी प्रकार कमी होगी,जिस प्रकार सूई को समुद्र में डाल कर निकालने से होती है।..» (मुस्लिम)
”अल मलिक“
वह जिसे चाहता है बादशाह बना देता है,अल्लाह तआला ने फरमायाः{आप कह दीजिये ऐ अल्लाह! हे सारी दुनिया के मालिक तू जिसे चाहे मुल्क दे और जिस से चाहे मुल्क छीन ले,और तू जिसे चाहे इज़्ज़त दे और जिसे चाहे ज़लील कर दे,तेरे ही हाथों में सारी ही भलाइयाँ है,बेशक तू हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है“।}[आले इमरानः 26].
”अल मलीक“
वह अपनी मखलूक़ का मालिक है,और लोक एवं प्रलोक में उन के मामलों में तसर्रुफ करता है,इस लिये बंदे उसी की चाह में रहंे और उसी की पनाह ढूँडें और उसी की ओर से मिलने वाली नेमतों की आशा करते हुये अनुरोध,प्रार्थना गिड़गिड़ा कर और पुकार कर अधिकतर माँगें।
बेशक अल्लाह तआला अल मलिक अल मालिक और अल मलीक है..