बेशक अल्लाह तआला अस्समी और अल बसीर है...
हे सुनने वाले हमारी दुआयंे सुन ले और हमारी पुकार क़बूल कर ले,तु हमारे आमाल,हमारी कोताहियाँ को देखने वाला है,अथवा तू यह भी देख रहा है कि हम केवल तेरी अकेली ज़ात के मुहताज हैं।
”अल्लाह तआला अस्समी है“
वह हर कमज़ोर और शक्तिमान की आवाजंे़ सुनता है,उस को एक आवाज़ दूसरी आवाज़ से और एक माँगने वाला दूसरे माँगने वाले से बे खबर नहीं करता है।
”अल्लाह तआला अल बसीर है“
वह हर चीज़ को देखता है,चाहे वह छोटी हो या बड़ी,या वह रात में छुपी हो अथवा दिन मंे हो।
”अस्समी“
अनेक भाषाओं और अनेक आवश्यक्ताओं के होने के बावजूद वह सब की बातें सुनता है।
”अल बसीर“
ठोस पत्थर पर काली रात में काली चींटी के क़दमों को वह देखता है,और वह सात ज़मीनों के नीचे रहने वाली चीज़ों को उसी प्रकार देखता है जिस प्रकार वह सात आसमानों के ऊपर वाली चीज़ों को देखता है।
”अस्समी अल बसीर“
उस से कोई चीज़ ढकी छुपी नहीं है,और न ही वह किसी चीज़ से ग़ाफिल है।
बेशक अल्लाह तआला अस्समी और अल बसीर है..