बेशक अल्लाह तआला अल हकीम है.. {क्या अल्लाह सभी हाकिमों का हाकिम नहीं है?“}
[अŸाीनः 8].
” अल हकीम “
वह ज़ात जो सब चीज़ों को अपनी पकड़ में रखे और उन को बेहतर तरीक़े से अंजाम दे और अपने तक़दीर के फैसेलों के अनुसार उन चीज़ों को उन के मुनासिब स्थान पर रखे।
” अल हकीम “
सारे क़ानून और दस्तूर को उस ने अपनी बुद्धिमŸाा (हिकमत) ही की बुनियाद पर बनाया है,उस की ओर से बनाये हुये क़ानून अपने उद्देश्यों,उस के रहस्यों और उस के दुनियवी एवं उखरवी परिणामों के एतबार से महान बुद्धिमŸाा का पता देते हैं।
” अल हकीम “
अल्लाह तआला अपने फैसलों और तक़दीर में हिकमत वाला है,वह ज़ात मुहताज के लिये मुहताजगी,बीमार के लिये बीमारी,और कर्ज़दार की परेशानी और तंगदस्ती के फैसलों में हिकमत वाली है,उस के रचने में दोष प्रवेश नहीं कर सकता और न ही उस के शब्दों और कर्माें में कोई कमी और अस्पष्टता आ सकती है,अल्लाह तआला महान ज्ञान एवं हिकमत वाला है।
” अल हकीम “
अपने बंदों में ज्ञान,हिकमत संयम और संजीदगी डालता है,और हर काम को उस के ठीक स्थान पर रखता है।
अल्लाह तआला सब हाकिमों से अधिक हिकमत वाला है,इस कायनात (संसार) की हर चीज़ उसी के आदेश के अधीन है, वही जिसे चाहता हलाल करता है और जिसे चाहता है हराम करता है,हुक्म केवल उसी का चलता है,और दीन वही है जिस का उस ने आदेश दिया और जिस से उस ने मना किया,उस के आदेश को कोई पीछे डालने वाला नहीं,और न ही उस के फैसले एवं तक़दीर को कोई ठुकराने वाला है।
” अल हकीम “
वह किसी पर जु़ल्म नहीं करता... वह हुक्म देने,मना करने और अपनी ओर से दी जाने वाली खबरों में न्याय करने वाला है।
बेशक अल्लाह तआला अल हकीम है..